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Thursday, May 16, 2013

मेरा भरोसा


आरजू-ए-इश्क तो हम भी रखते हैं
इस अरज़1  के लोगों से मोहब्बत हम भी करते हैं
एक अफवाह से आशुफ्ता2 हो गए हैं हम
कि लोग कहते हैं कि एक अश्किया3  से
इश्क कर बैठे हैं हम
लेकिन उनके अस्काम4 अल्फाजों का नहीं पड़ता है मुझपे कोई असर
सोच जो लिया है मैंने कि जिंदगी तो करनी है मुझे उसके ही साथ बसर
यूं तो इस दुनिया में न तो कोई अच्छा है और न ही है कोई बुरा
अक़िबत5 में क्या होगा ये है किसको पता
आगाज करने में ही जो हम घबरा जाएंगे
तो खुशियों को अपने आगोश में कभी न समेट पाएंगे
इस जहां में कोई भी तो नहीं है अर्जमंद6
शक का जो दार7 बनाएंगे तो खुशियां कहां से लाएंगे
कोई कुछ भी रहता रहे
मुझे है उस पर पूरा भरोसा
मेरी आंखों में आब-ए-चश्म8 का
अस्बाब9 न बनेगा वो कभी
नाआश्नाओं10 की बातों में आकर
खुद पर न सितम ढाएंगे

1-धरती 2- भ्रमित 3-कठोर दिल 4-बुरे  5-भविष्य 6-महान 7-घर  8-आंसू 9- कारण 10-अजनबियों

Friday, April 26, 2013

अंतर



रात के बारह बज रहे थे। अंकिता अपने पति का आॅफिस से लौटने का इंतजार कर रही थी। तभी डोर वेल बजी। अंकिता ने उठकर दरवाजा खोला। सामने अनिकेत चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट के साथ खड़ा था। अंकिता ने उसको गले लगाया और उससे फ्रेश होने को कहकर खाना निकालने चली गई। दोनों साथ में खाना खा रहे थे, तभी अंकिता ने अनिकेत से कहा कि आज आॅफिस में साथ काम करने वाले एक कलिंग ने उससे बोला कि अगर आपके घर के पास कोई कमरा खाली हो तो मुझे दिलवा दीजिए लेकिन मैंने एक-दो रूम के बारे में बताया और बहाना बनाकर टाल दिया। दरअसल अंकिता और अनिकेत दोनों एक ही आॅफिस में काम करते हैं ल ेकिन अंकिता की दिन की शिफ्ट होती है और अनिकेत की इवनिंग शिफ्ट होती है। इस  बात पर अनिकेत बिफर गया और बोला कि उसने तुमसे ही क्यों कमरा दिलवाने के लिए बोला , मैं भी तो वहीं काम करता हूं फिर उसने मुझसे क्यों नहीं बोला। अंकिता ने अपनी  सफाई देनी चाही लेकिल अनिकेत कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। अंकिता ने अनिकेत से बात करनी चाहिए लेकिन अनिकेत नींद आने का बहाना बनाकर सोने चला गया। अंकिता बिस्तर पर लेटी और उसे कुछ दिन पुरानी घटना याद गई। जब अनिकेत ने अंकिता से रिक्वेस्ट की थी उसके आॅफिस में साथ में काम करने वाली सिम्मी को प्लीज रूम दिलवा दो, वो बहुत परेशान है, उसे कहीं रूम नहीं मिल रहा और अंकिता ने रूम दिलवाने के लिए हां भी कर दी थी। सिम्मी अनिकेत के साथ पास वाले घर में एक रूम देखने भी गई लेकिन उसे वो पसंद नहीं आया। अंकिता सोच रही थी कि जमाना बदल गया है कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा लेकिन औरत की स्थिति आज भी उसके पति के नजरों में वैसी ही है। पति खुद कुछ भी कर सकता है लेकिन पत्नी किसी से हंस-बोल भी नहीं सकती। अंकिता सोच रही थी कि पता नहीं औरत और आदमी के बीच का ये अंतर कब खत्म हो पाएगा।


Wednesday, April 17, 2013

हनुमान और राम


एक ही कक्षा में पढ़ते थे हनुमान और राम
मेधावी थे राम और हनुमान बेकाम
गुंडा गर्दी में वे आगे खेलकूद में सरपट भागे
राम थे पोथी तक सीमित और पढ़ाई में आगे
इम्तिहान जब सिर पर आया, हनुमान ने पाठ पढ़ाया
मां से कहा मेहनत है पड़ती
इसलिए दुगना घी खाया
हुए परीक्षा फल जब घोषित
हनुमान थे अनुत्तीर्ण और राम हुए उत्तीर्ण
हनुमान ने लगा लिया अब चौराहे पर खोखा
जिसमें रखकर बेचते थे वे आगरे वाला पेठा
राम ने आगे की पढ़ाई और डिग्रियां पार्इं
पर ये सारी विद्या उनको रोटी न दे पाई
आखिर थक कर गए वो हनुमान के पास
बोले यार काम न मिलता मैं हूं एमए पास
हनुमान से सोचा समझा फिर लिखी एक पाती
कपड़े की मिल में यार को अपने बना दिया चपरासी

Sunday, April 14, 2013

फेसबुक की महिमा


हर कोई है यहां फेसबुक का दीवाना
जिसके चलते हो गया है घरवालों से बेगाना
हर पांच मिनट में चेक करना है सबको प्रोफाइल
कमेंट देखकर चेहरे पर आ जाती है प्यारी सी स्माइल
जिसके पोस्ट पर ज्यादा कमेंट वो समझता है खुद को हीरो
जिसके पास नहीं है लाइक्स वो कहलाता है जीरो
सोशल मीडिया में फेसबुक की महिमा है सबसे न्यारी
इसके सामने नहीं है कुछ भी ट्विटर और ब्लॉगगीरी
अगर नहीं हो  फेसबुक पर तो कर लो इसमें एन्ट्री
हो जाइगी जिससे आपकी लाइफ भी कॉमप्लमेंट्री
इसके बहाने हो जाता है लोगों का स्टेटस अपडेट
जो नहीं है फेसबुक पर वो है आउट ऑफ डेट

Saturday, April 6, 2013

वादा स्वस्थ रहने का


हर वर्ष 7 अप्रैल को  ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’  मनाया जाता है। इसी दिन सफल जीवन के लिए स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए 7 अप्रैल, 1948 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्थापना की गई थी।
अंग्रेजी में एक कहावत है ‘हेल्थ इज वेल्थ’ अर्थात स्वास्थ्य ही पूंजी है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो शायद ही कोई व्यक्ति अपने स्वस्थ शरीर के महत्व को समझता हो। दुनिया के अधिकांश देशों में आज ऐसे हालात बन गए हैं जिनमें जटिल और तनावग्रस्त जीवनशैली से जूझता हुआ व्यक्ति ना तो अपने खान-पान पर ध्यान देता है और ना ही अपने स्वास्थ्य की अहमियत समझता है। हममें से कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने काम और व्यस्तता के चलते अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते तो कुछ लोग ऐसे हैं जो पर्याप्त साधन न होने के कारण इस ओर ध्यान नहीं दे पाते। इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एसएन मेडिकल कॉलेज के भूतपूर्व प्रोफेसर सीनियर कसंल्टेंट फिजीशियन डॉ. बीबी माहेश्वरी से बात करके हमने जाना कि सामान्य तौर पर होने वाली बीमारियां कौन-कौन सी हैं और हम उनसे बचकर कैसे स्वस्थ जीवन जी सकते हैं....

कम्यूनिकेबल डिजीजेस
कम्यूनिकेबल डिजीजेस यानी की संक्रामक बीमारियां, यानी की किसी बैक्टीरिया या वायरस द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को फैलने वाली बीमारियां। टीबी, टायफाइड, एड्स, मलेरिया, चेचक, हेपेटाइटिस  जैसे रोग संक्रामक रोगों की श्रेणी में आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर में संक्रामक रोग पहले से कहीं ज्यादा तेजी से फैल रहे हैं और उनका इलाज करना ज्यादा मुश्किल हो गया है । अपनी वार्षिक विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट 2008 में राष्ट्र संघ एजेंसी ने कहा है कि 1970 के दशक से हर साल एक या ज्यादा नए रोगों का पता चल रहा है, जो अभूतपूर्व है । एजेंसी ने कहा है कि तपेदिक जैसी जानी-मानी बीमारियों को नियंत्रित करने के प्रयास भी सीमित हो रहे हैं, क्योंकि वे ज्यादा ताकतवर और दवाइयों की प्रतिरोधी किस्मों में विकसित होती जा रही हैं । इन बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने आस-पास सफाई रखें। जो व्यक्ति इन रोगों का शिकार हैं उनकी इस्तेमाल की हुई चीजों को इस्तेमाल न करें। ध्यान रहे इन बीमारियों से पीड़ित लोगों से बातें करने से या उनके साथ बैठकर खाना खाने से आप उस रोग का शिकार नहीं होंगे।

पानी के द्वारा फैलने वाली बीमारियां
हम में से ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो ये मान लेते हैं कि सबमर्सिबल या हैंडपंप से आने वाला पानी पूरी तरह से स्वच्छ और पीने योग्य होता है, जबकि ऐसा नहीं है। ये पानी भी पूरी तरह से शुद्ध नहीं होता है। इसलिए जरूरी है कि आप खाना बनाने में या पीने में जो पानी इस्तेमाल करें वो फिल्टर किया हुआ हो। अगर आपके पास पानी को फिल्टर करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो आप पानी को उबाल कर भी इसे कीटाणु मुक्त बना सकते हैं। उबला हुआ पानी सबसे ज्यादा शुद्ध माना जाता है। आगरा के ज्यादातर घरों में सप्लाई वाला पानी इस्तेमाल में लाया जाता है। इस पानी में फ्लोरीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है इसलिए इसे भी पीने के लिए या खाना बनाने में प्रयोग नहीं करना चाहिए। कॉलेरा, डिसेंट्री, टायफाइड, डायरिया ऐसी बीमारियां हैं जो ज्यादातर दूषित पानी पीने की वजह से फैलती हैं। अगर आपको इन सब बीमारियों से बचना है तो जरूरी है कि स्वच्छ पानी का इस्तेमाल करें।

मच्छरों के द्वारा फैलने वाली बीमारियां
मलेरिया, डेंगू, दिमागी बुखार जैसी बीमारियां मच्छरों के काटने से फैलती हैं। कुछ अवस्थाओं में इन बीमारियों का कहर इतना ज्यादा हो जाता है कि रोगी की मौत भी हो सकती है। इन बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने घर में मच्छरों को न आने दें, शाम होते ही घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद कर लें, कमरे में मॉस्कीटो रिप्लेंट्स यूज करें। इसके साथ ही मच्छरदानी का भी इस्तेमाल करें। घर के आस-पास कूड़ा या गंदा पानी इकट्ठा न होने दें क्योंकि ऐसी जगहों पर ही मच्छर पनपते हैं।

ड्रॉपलेट इनफेक्शन
ड्रापलेट इनफेक्शन यानी की छीटों या बूंदों के द्वारा फैलने वाला इनफेक्शन। इसे हम एयरबॉर्न इनफेक्शन भी कह सकते हैं। खांसी या जुकाम से ग्रस्त कोई व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तो उस समय कुछ कीटाणु उसकी खांसी या छींक के साथ निकलकर वातावरण में फैल जाते हैं और हवा के साथ बहकर एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाते हैं। इस संक्रमित हवा में जब कोई स्वस्थ व्यक्ति सांस लेता है तो ये कीटाणु उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और वो व्यक्ति उस रोग का शिकार हो जाता है। इसलिए ये जरुरी है कि खांसते या छींकते समय आप रुमाल का इस्तेमाल करें।

खराब लाइफस्टाइल के कारण होने वाली बीमारियां
डायबिटीज, हायपरटेंशन, कैंसर, आॅस्टियोपोरोसिस, अल्जाइमर, तनाव, अवसाद आदि कई ऐसी बीमारियां हैं जो खराब लाइफस्टाइल के कारण होती हैं। देर से सोना, जल्दी जागना, देर तक सोना, ब्रेकफास्ट न करना, जंक फूड्स पर डिपेंड रहना, प्रॉपर डाइट न लेना जैसे कई कारण है जो व्यक्ति को इन बीमारियों का शिकार बनाते हैं।

कुछ टिप्स
- रोज एक्सरसाइज करें।
- ब्रेकफास्ट जरूर करें।
- मॉर्निंग वॉक को रुटीन में शामिल करें।
- फास्ट फूड को अवॉइड करें।
- यंगस्टर्स विशेषकर मौसम के हिसाब से कपड़े पहनें। ज्यादा टाइट कपड़ों को न पहनें।
- एसी का इस्तेमाल ज्यादा न करें।
- अपने बैठने के पॉश्चर को सुधारें, क्योंकि इससे कमर दर्द की समस्या सबसे ज्यादा होती है।
- कुछ भी खाने से पहले या खाने के बाद हाथों को साबुन से जरूर धोएं।
- घर में भी हाइजीन का विशेष ध्यान रखें।

Friday, March 1, 2013

कौन है वो


कभी तपती धूप में भी जुगनू सा चमकता है वो
कभी चांद की  रोशनी में दिए सा जलता है वो
कभी लाल गुलाब पर गिरी शबनमी बूंद की तरह इतराता है वो
कभी मां के गले में पड़ी तस्बीह के दाने जैसा इठलाता है वो
कभी आसमान में बादलों के झुंड सा नजर आता है वो
कभी बारिश की बूंदों सा धरती पर गिर जाता है वो
कभी मुझे ख्वाबों में जगाकर खुद सो जाता है वो
कभी दादी की लोरी की तरह मुझे थपथपाता है वो
कभी जमीन पर उगी घास की तरह पैरों को गुदगुदाता है वो
कभी पेड़ की डाल पर बैठी कोयल की तरह गुनगुनाता है वो
कभी बहती हवा में मोगरे की सुगंध सा बिखर जाता है वो
कौन है वो, कहां है वो
मेरे ही सवालों में मुझे उलझाता है वो,
कहां-कहां मैं ढूंढूं उसे,
हर जगह तो मुझे नजर आता है वो....

Thursday, February 21, 2013

सुंदरता और रुपये


लोग कहते हैं कि सुबह-सुबह देखा हुआ ख्वाब सच हो जाता है
उसने भी तो देखा था भोर की पहली किरण के साथ एक ख्वाब
देखा था उसने की उसके लिए भी खुदा ने चुना है एक हमसफर को
देखा था उसने कि कोई भीड़ में से निकलता हुआ आ रहा है उसके पास
और उसका हाथ थामकर ले जाता है उसको अपने साथ
लेकिन अभी तक नहीं सच हुआ उसका ये सुबह को देखा हुआ ख्वाब
अब तो जिंदगी के पैंतीस बसंत निकल चुके हैं
उसे इंतजार करते हुए, लेकिन कोई नहीं उसका हाथ थामने
क्या गलती थी उसकी, शायद ये कि उसका रंग बाकी लड़कियों की तरह
गोरा नहीं था, हां शायद सांवला होना ही उसकी गलती थी..
तो क्या हुआ गर वो सांवली थी..पढ़ने में तो तेज थी, खाना बनाना भी जानती थी
घर के सारे कामों में तो उसकी मम्मी ने उसे पहले से ही निपुण कर दिया था
लेकिन एक लड़की की शादी होने के लिए इस सब से ऊपर होता है उसका गोरा होना
सुंदर होना...
ऐसा नहीं था कि सिर्फ सुंदर होना ही उसके ब्याहता न होने की सबसे बड़ी वजह थी
एक और भी कारण था इसका, उसके ‘ कु ’रूप होने से भी बड़ा कारण
दूल्हा खरीदने के लिए उसके किसान बाप के पास रुपये नहीं थे...
बिना गुणों के, बिना रूप के, यहां तक कि बिना पंडित और
बिना फेरों के भी शादी हो सकती है, लेकिन बिना रुपयों के शादी होना तो
नामुमकिन है न...
अब लड़की सुदर भी न हो और उसके मां-बाप के पास रुपये भी न हों
ऐसा अन्याय...कोई दो चीजों से कम्प्रोमाइज थोड़े ही कर सकता है...

Tuesday, February 19, 2013

पथराए नैन


पिया से मिलन की आस में पथरा गए मोरे नैन
पिया न मिलन को आए मोहसे बीतीं जाने कितनी रैन
बीतीं जाने कितनी रैन कि न आया पिया का संदेशा
फंस गए होंगे किसी काम में हुआ दिल को ऐसा अंदेशा
इस अंदेशे में दिन काटे और काटीं कितनी रातें
अब तो करने लगीं हूं मैं खुद से ही खुद की बातें
बातें करते-करते हो जाती सुबह से शाम
दिन बीत जाता है पूरा पर न होता मुझसे कोई काम
सखियां कहते मुझसे तो हो गई है रे पागल
अंसुअन की धार में बहता तेरी आंखों का काजल
मैं कहती काजल का क्या है ये तो फिर से लग जाएगा
पिया न आए गर मोरे तो इन अंखियन को कुछ न भाएगा

Monday, February 18, 2013

लड़का और लड़की


कई दिन हो गए उनका इंतजार करते हुए
लेकिन अभी तक नहीं आए वो
कहा था उनसे कि इस बार थोड़ा जल्दी आना
पापा-मम्मी से बात करना हमारी शादी की
लेकिन वो तो ऐसे गए कि अब तक न आए
कहां गए, क्यों गए कुछ बताया ही नहीं
बहुत कोशिश की पता लगाने की कि कहां हैं वो
एक दिन उनके एक दोस्त को कहते सुना था कि
किसी और के साथ कर ली है उन्होंने शादी
लेकिन सुन कर भी कानों को भरोसा न हुआ
दिल को विश्वास है कि वो ऐसा कुछ कर ही नहीं सकते
बहुत प्यार करते हैं वो मुझसे
लेकिन हो भी तो सकता है,
याद आया कि कुछ दिनों से एक लड़की से
कुछ ज्यादा ही बातें करने लगे थे वो
कहीं उससे ही तो नहीं, नहीं ऐसा नहीं हो सकता
वो तो सिर्फ दोस्त थी उनकी, दोस्तों से शादी थोड़े ही करते हैं
दिल को समझाकर फिर करने लगी उनका इंतजार
अचानक एक दिन दरवाजे पर दस्तक हुई
सामने खड़े थे वो और उनके साथ उनकी दोस्त
लेकिन अब तो वो उनकी बीवी बन चुकी थी
एक पल को तो लगा जैसे कि ये हकीकत नहीं सपना है
अपना दिल ही अपनी आंखों पर  यकीन नहीं कर पा रहा था
उनसे कहा ये तो आपकी दोस्त थी न,
लेकिन फिर खुद ही अपने सवाल का जवाब मिल गया
कई लोगों की कही और कई बार सुनी हुई बात याद गई
‘‘लड़का और लड़की कभी ''सिर्फ'' दोस्त नहीं हो सकते’’

Wednesday, February 13, 2013

मोहब्बत का अहसास


 दूर-दूर तक पसरी ख़ामोशी...ना कोई साथ है ना किसी के साथ की ख्वाहिश...
वीरान तन्हाई में भी तुम्हारी यादों का काफिला साथ है...तुम पास न सही,
 तुम्हारे होने का अहसास तो साथ है...कितना अजीब होता है किसी की चाहत का असर..
किसी की मोहब्बत का नूर, जो कभी तन्हाई में भी मोहब्बत की महफ़िल सजा देता है, 
तो कभी भीड़ में भी तनहा कर देता है...ना कहने के लिए अल्फाज़ की जरूरत होती है...
ना नज़रों से हाले दिल बयां होता है...हम बस ख़ामोशी से उन्हें देखते रह जाते हैं और...
ना जाने कब चुपके से ये दिल उनका हो जाता है...
कितने खुशनसीब होते हैं वो जिन्हें ऐसी मोहब्बत मिलती है...वरना कई बार...
जिंदगी तो चलती रहती है पर चाहत की कमी हर पल खलती है...दुनिया का कोई भी
ऐश-ओ-आराम वो सुकून, वो पाकीजगी नहीं दे सकता जो किसी की चाहत का नूर दे जाता है...
मोहब्बत के इस अहसास को जीना है, तो किसी को इतने शिद्दत से चाहना की...आपकी हर तारीख 
प्यार के नाम हो जाये...हर लम्हा इश्क की दास्ताँ कहे और हर पल उसका अहसास आपके सीने में
उसकी धड़कन बन कर रहे...  

Monday, February 11, 2013

प्यार क्या है??



कोई कहता है प्यार आवाज नहीं, कोई कहता है प्यार खामोश नहीं, कोई कहता है प्यार खुशियों की नदी है, तो कोई कहता है कि प्यार गम का सागर है। किसी को शम्मा में जलते हुए परवाने का प्यार नजर आता है तो किसी को चांद तारे तोड़ कर लाने का इकरार समझ आता है। कोई कहता है प्यार में पाना ही सब कुछ नहीं तो कोई कहता है जो खो जाए वो प्यार नहीं। कोई प्यार में जान देने को तैयार है तो कोई कहता है जान लेना कहां का प्यार है। किसी को कभी न मिलने वाले रोमियो जूलियट और लैला मजनू का प्यार सदाबहार लगता है कोई साथ-साथ जीने और मरने वाले दादा-दादी के प्यार के किस्से सुनाता है। हर किसी की प्यार की अपनी-अपनी परिभाषा है, प्यार के बारे में बताने का, प्यार को तोलने का, मापने का तरीका है, लेकिन मैं आज तक नहीं समझ पाई कि आखिर प्यार क्या है??? राधा और कृष्ण का प्यार सच्चा है या मेरे पापा मम्मी का प्यार अच्छा है??


Sunday, February 10, 2013

प्रपोज वाला इजहार


हो गया है हमको तुमसे इश्क वाला लव
जी करता लिखूं तुमको इक लेटर वाला खत
लेकिन खत लिखने में लगता है
हमको बहुत टाइम वाला वक्त
क्योंकि अंग्रेजी में है हमारा हाथ
बहुत टाइट वाला सख्त
कोई ऐसा तरीका बताओ जिससे
हम तुमको कर सकें प्रपोज वाला इजहार
आजकल मेरा दिल रहने लगा है बहुत बेकरार
इंस्टेंट प्रक्रिया का कोई तो तरीका बताओ
अब डिले करके इतना हमको न सताओ
कहीं ऐसा न हो कि प्रपोज डे के बाद
निकल जाए वैलेनटाइन डे भी
फिर बीत जाए बसंत का सीजन भी खुशगवार
और हमें करना पड़े एक साल फिर
वेट वाला इंतजार....
.....अुनषा मिश्रा

Friday, February 8, 2013

प्यार का रंग



ब्लैक एंड व्हाइट पेंटिंग जैसी मेरी इस जिंदगी में
तुमने आकर प्यार की कूंची से बेहिसाब रंग भर दिए
पहले अकेले तन्हा रहती थी मैं
जिंदगी को एक बोझ की गठरी
समझकर ढोती थी मैं
लेकिन तुम्हारे आते ही लगा जैसे
कि बोझ की वो गठरी छिटककर कहीं
दूर जा गिरी हो
और जिंदगी की सारी मुश्किलें उसमें से निकलने को बेताब हो रही हों
बहुत हल्कापन महसूस हुआ था मेरे दिल को उस दिन
धीरे-धीरे तुमसे बातें करना अच्छा लगने लगा था
फिर न जाने कब उन बातों ही बातों में तुमसे प्यार हो गया
और फिर एक दिन आया जब उस प्यार का इकरार हो गया
उस दिन से मैं हो गई तुम्हारी और तुम मेरे
हमेशा के लिए
अब तो मुझे अपनी ब्लैक एंड व्हाइट यादें भी रंगीन नजर आने लगी हैं
तुम्हारा हाथ थामे जिंदगी में आगे बढ़ने की चाहत भरमाने लगी है
अब बस इतनी इल्तजा है तुमसे कि यूं ही बस  यू हीं हमेशा
तुम मेरा साथ देना और मेरे साथ रहना जिंदगी की इस गली के
आखिरी मोड़ के आखिरी छोर तक।।।
अनुषा मिश्रा