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Friday, April 26, 2013

अंतर



रात के बारह बज रहे थे। अंकिता अपने पति का आॅफिस से लौटने का इंतजार कर रही थी। तभी डोर वेल बजी। अंकिता ने उठकर दरवाजा खोला। सामने अनिकेत चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट के साथ खड़ा था। अंकिता ने उसको गले लगाया और उससे फ्रेश होने को कहकर खाना निकालने चली गई। दोनों साथ में खाना खा रहे थे, तभी अंकिता ने अनिकेत से कहा कि आज आॅफिस में साथ काम करने वाले एक कलिंग ने उससे बोला कि अगर आपके घर के पास कोई कमरा खाली हो तो मुझे दिलवा दीजिए लेकिन मैंने एक-दो रूम के बारे में बताया और बहाना बनाकर टाल दिया। दरअसल अंकिता और अनिकेत दोनों एक ही आॅफिस में काम करते हैं ल ेकिन अंकिता की दिन की शिफ्ट होती है और अनिकेत की इवनिंग शिफ्ट होती है। इस  बात पर अनिकेत बिफर गया और बोला कि उसने तुमसे ही क्यों कमरा दिलवाने के लिए बोला , मैं भी तो वहीं काम करता हूं फिर उसने मुझसे क्यों नहीं बोला। अंकिता ने अपनी  सफाई देनी चाही लेकिल अनिकेत कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। अंकिता ने अनिकेत से बात करनी चाहिए लेकिन अनिकेत नींद आने का बहाना बनाकर सोने चला गया। अंकिता बिस्तर पर लेटी और उसे कुछ दिन पुरानी घटना याद गई। जब अनिकेत ने अंकिता से रिक्वेस्ट की थी उसके आॅफिस में साथ में काम करने वाली सिम्मी को प्लीज रूम दिलवा दो, वो बहुत परेशान है, उसे कहीं रूम नहीं मिल रहा और अंकिता ने रूम दिलवाने के लिए हां भी कर दी थी। सिम्मी अनिकेत के साथ पास वाले घर में एक रूम देखने भी गई लेकिन उसे वो पसंद नहीं आया। अंकिता सोच रही थी कि जमाना बदल गया है कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा लेकिन औरत की स्थिति आज भी उसके पति के नजरों में वैसी ही है। पति खुद कुछ भी कर सकता है लेकिन पत्नी किसी से हंस-बोल भी नहीं सकती। अंकिता सोच रही थी कि पता नहीं औरत और आदमी के बीच का ये अंतर कब खत्म हो पाएगा।