तन्हाई हमें खामोश रहकर बहुत कुछ बताती है
खमोशी अक्सर तन्हाई में धुन कोई गुनगुनाती है
हौले-हौले दबे पांव से दिल में जब तू आती है
तेरे चेहरे की रंगत तब सुर्ख लाल हो जाती है
पायल की छन-छन भी तेरी कोई राग सुनाती है
झुकती उठती पलकें तेरी बेकरार कर जाती हैं
हाथों के कंगन जब तू खन-खन-खन खनकाती है
मन में मेरे प्रेम की एक धारा सी बह जाती है
प्यारी तेरी बोली इतनी मेरा मन भरमाती है
तुझमें ही खो जाऊं मैं चुपके से कह जाती है
बंद आंखों से तू हर जगह नजर मुझे आती है
आंखें खोलूं तो न जाने क्यूं ओझल तू हो जाती है
एक दिन होगी तू मेरी हर तन्हाई यही बताती है
खामोशी भी तन्हाई में प्रीत की धुन ही गाती है